ब्रीफ टेल्स– माफ कर दे
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“अरे यार सिम्मी माफ कर दे ना।” जाह्नवी ने अपने दोनों कान पकड़ते कर माफी मांगते हुए कहा।
सिमरन ने बिना कुछ कहे ही अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया।
“मान भी जाना यार। मुझे लगा कुछ दिन बाद बर्थडे है और मुझे बर्थडे डेट याद भी नहीं रहती।” जाह्नवी ने मासूम बच्चे की तरह बड़े प्यार से कहा और फिर आगे बोली। “अब तो विश कर दी ना।”
“बड़ी जल्दी कर की है।” सिमरन ने ताना मारते हुए जवाब दिया।
“देख मै कितनी दूर से बस तेरे लिए आई हूं वो भी तुझे मनाने के लिए।” जाह्नवी ने कहा और फिर मुंह लटका कर खड़ी हो गई।
“मान गई मै मेरी जानू।” सिमरन ने उसके लटके हुए चेहरे को देखते हुए कहा।
इस बात से खुश होकर जाह्नवी बोली। “इसी खुशी में तेरी पसंदीदा जगह पर घूम कर आते है वो भी शाम को।”
“ठीक है।” सिमरन ने जवाब दिया।
शाम होते ही दोनों एक पुरानी हवेली में घूमने के लिए चली गई। दोनों घूम ही रही थी कि सिमरन अचानक से बीच में ही कही गायब हो गई।
“सिम्मी कहां गई तू?” जाह्नवी ने इधर उधर देखने हुए कहा और सिमरन के ना मिलने पर उसे ढूंढने लगी।
“मै यहां हूं।” जाह्नवी को अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसने पीछे की ओर मुड़ कर देखा तो पाया कि सिमरन उसके पीछे खड़ी हुई थी। उसकी नजर ना जाने कहां गई कि उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
“क्या हुआ?” सिमरन ने पूछा।
“तेरी परछाई कहां है?” जाह्नवी के जवाब के बदले सवाल पूछा।
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कहां गई परछाई😁